Tuesday, July 7, 2009

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$ * देवता होने की ख्वाहिश हर किसी दिल में रही ,
पर खुदा होने का साहस अब किसी दिल में नहीं ।
तुम खुदाई में सदा अधिकार ही चाहा किए ,
बाँट ले जो दर्द दिल के वो खुदा तुम में नहीं ॥ *
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$ * मेरी एक उम्र से लम्बी मेरी तन्हाई है,
मेरे वजूद को ढोती मेरी परछाई है ।
मैं एक बेकुम्मल से जहाँ में जी रहा हूँ ,
मेरी साँसों की लाश मुझको कहाँ ले आई है ॥ *
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$ * शमा बनकर जो जलूं तो मुझे चैन आए ,
प्यास बनकर जो बुझूँ तो मुझे चैन आए ।
दरिया बनकर जो बहूँ तो मुझे चैन आए ,
धरती बनकर जो सहूँ तो मुझे चैन आए ॥ *
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$ * सफा - दर - सफा लिखता रहा ज़िन्दगी ,
लम्हा - दर -लम्हा मिटाता रहा ज़िन्दगी ।
कदम - दर - कदम गुज़रता रहा सफर ,
उम्र - दर - उम्र बढ़ता रहा फांसला ॥ *
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$ * इस ज़िन्दगी से हर कोई , अपने-अपने से ही रिश्ते निभाता है ।
कोई इसे यूँही जीता जाता है , कोई इसे यूँही मिटाता है ॥ *
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Thursday, June 11, 2009

$****** जिंदगी का सफर ******
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* हम जब अपने आशियाँ से , ज़िंदगी के सफर पर निकले न थे ,
सोचते थे कहाँ जायेंगे ? सोचते थे कहाँ सोएंगे ?
सोचते थे क्या बिछायेंगे ? क्या ओढेंगे ?
पर जब ये कदम चले तो रुकने को कोई दर ही न मिला ,
छोटे से आशियाँ से एक बड़े जहाँ में आ गए ,
सपनों की दीवारें , आकाश की छत ,
धरती का बिछौना , सभी कुछ तो अपना है ,
और जब चलते हुए कदम ठहरे तो , होश ही नहीं था कि
कौन सा मुल्क , किस ज़मीं पर हैं ,
बस हारा हुआ मन , घनी रात कि तन्हाई के बिछौने पर ,
आज कि मायूसी कि चादर लपेटे , बेखौफ कल के सपनों में खो गया ,
लहरों से मचलते , मदमस्त ख्वाब , अगले दिन कि हकीकत से ,
फिर एक बार हारने वाले थे , और यही सिलसिला ,
कल से आज तक कि ज़िंदगी बन गया ,
अब सोचते हैं कब सोएंगे ? कब जायेंगे जहाँ से ?
सोचते हैं कि कितना ? कैसे ? और कब तक जियेंगे ?
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Wednesday, June 10, 2009

$******* अपनी साँसों में ठहरकर देखो*******
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* और कितने पल यूहीं हाथ पर हाथ धरे बैठोगे ।
कभी तो इन टेढी - मेढ़ी राहों पे चलकर देखो ॥ *
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* कब तलक गैरों की तरफ़ उंगलियाँ उठाओगे ।
कभी, किसी पल तो अपने हाथों को भी मलकर देखो ॥ *
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* कब तलक उठी निगाहों से आसमां को कोसोगे ।
कभी तो पैरों तले की ज़मीं पर चलकर देखो ॥ *
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* कब तलक यूहीं चुप चाप अपनी खामोशियों में गूंजोगे ।
कभी, किसी पल तो अपने लबों से निकलकर देखो ॥ *
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* कब तलक अपनी पलकों में अश्कों को छिपाओगे ।
कभी किसी पल तो यूहीं अपनी पलकों से छलककर देखो ॥ *
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* कब तलक भागते रहोगे अपने होने से ।
कभी कभी तो यूहीं अपनी साँसों में ठहरकर देखो ॥ *
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Tuesday, June 9, 2009

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$* वफ़ा के खरीदार यहाँ मिलते हैं ,
मोहब्बत के बाज़ार यहाँ मिलते हैं ।
नहीं मिलता गर कुछ तो खुदा है,
वरना हर दर्द के बीमार यहाँ मिलते हैं ॥ *
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$* मुझे तदबीर से तकदीर बनाना नही आया ।
हंसने के लिए औरों को रुलाना नहीं आया ॥ *
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$* जीने के लिए ज़िन्दगी हर बार ही कम पड़ती है ।
मरने के लिए मौत तो एक बार ही काफ़ी है ॥ *
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$* रफ्तार ऐ ज़िन्दगी में कई और दौर होंगे ।
हर दौर में जो बदलें वो लोग और होंगे ॥ *
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$* ढूंढूं मैं आज तुझको किस राह किस डगर पर ।
मन्दिर की सीढियों पर या मस्जिद की रह गुज़र पर ॥ *
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$* ज़िन्दगी जीने की कीमत हैं यह अश्क,
मौत से मिटने की हकीकत हैं यह अश्क ।
यह अश्क नहीं होते तो क्या गम नहीं होते,
सब कुछ यूँही रहता पर शायद हम नहीं होते ॥ *
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$* हमें नाकाम होने की बुरी आदत ही सही ।
हमारी हार से ही पर तुम्हारी जीत होती है ॥ *
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$* जब कोई तुम्हारे साथ न हो , जब हाथों में कोई हाथ न हो ।
तब थाम के रातों का दामन , तुम ख्वाब में मेरे आ जाना ॥ *
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$* दूर तक आकाश के साए बिखरा देता हूँ ,
अपनी ज़मी को अपने ही पैरों तले छिपा लेता हूँ ,
अपनी साँसों को फिर से नया आगाज़ बना लेता हूँ ।
मैं जब भी खुदसे हार जाता हूँ ,
ख़ुद की हार को ही मकसद बना लेता हूँ,
फिर किसी रोज़ इसी मकसद को ,
अपने जीने का नया अंदाज़ बना लेता हूँ ॥ *
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$* मैं कभी बेनाम नहीं था , मैं कभी बदनाम नही था ।
पर नाम मेरा कोई नाम नहीं था, नाम मेरा कोई मुकाम नहीं था ॥ *
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$***** कभी " ग़ालिब " की तरह *****
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* साँस से अगली साँस तक , आस से आस तक,
प्यास से नई प्यास तक, विशवास से विशवास तक,
ज़िन्दगी में फिर संघर्ष, फिर नई ज़ंग है ॥ *
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* कदम से अगले कदम तक ,
भरम से अगले भरम तक,
ख्वाहिश से अगली ख्वाहिश तक,
इस रात से अगली सुबह तक ,
ज़िन्दगी एक अनदेखा, अनजाना , असीमित,
संघर्ष है, सिर्फ़ संघर्ष, संघर्ष किस से और क्यूँ ? *
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* पल से पल तक, आज से कल तक ,
कल से अगले कल तक , ख़ुद ही से भागता है इंसान ,
कभी सिकंदर बनकर, औरों की ज़मीनों को रौंदता है,
तो कभी ग़ालिब की तरह, अपने ही मैं को झंझोड़ता है,
कुछ सोचता है, कुछ चाहता है,
सब कुछ खोता है, कुछ पाता है ,
फिर खुदको ही खुदा मानकर,
हमेशा के लिए सो जाता है,
ज़िन्दगी की चाहतों को छोड़ जाता है,
किसी और के जीने के लिए ॥ *
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Monday, June 8, 2009


$**** एक अंजाम मिल जाए गर****
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* एक अंजाम मिल जाए गर, फिर से आगाज़ ढूँढेंगे हम ।

एक विशवास मिल जाए गर, खोया विशवास ढूँढेंगे हम ॥ *

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* शब्द आकर लबों पे थमें, अश्क पलकों पे आकर थमें ।

तेरी खामोशियाँ गर मिलें, फिर से अल्फाज़ ढूँढेंगे हम ॥ *

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* रात ख्वाबों में ठहरी है आज, रात रातों से गहरी है आज ।

थोडी तन्हाई गर फिर मिले, फिर से ये रात ढूँढेंगे हम ॥ *

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* कितनी साँसों में जलता रहा, कितनी साँसों से पलता रहा ।

एक पल साँस थम जाए गर, फिर से हर साँस ढूँढेंगे हम ॥ *

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* तुमने जाना नहीं था हमें, हमने समझा नहीं था तुम्हें ।

चंद लम्हों की मोहलत तो दो, हर इक पहचान ढूँढेंगे हम ॥ *

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* मेरा अपना नहीं है कोई, मेरा सपना नहीं है कोई ।

एक अनजान मिल जाए गर, फिर से अरमान ढूँढेंगे हम ॥ *

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* हमने हाथों को थामा था कल, कई साथो को थामा था कल ।

सिर्फ़ इक साथ मिल जाए गर, फिर से वो साथ ढूँढेंगे हम ॥ *

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* मेरी साँसों में रहते थे जो, मेरी आंखों में बसते थे जो ।

गुज़रे लम्हे वो फिर से मिलें, फिर से वो लोग ढूँढेंगे हम ॥ *

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* मेरी आंखों में सपने भी हैं, मेरी साँसों में अरमा भी हैं ।

फांसले जिनसे तय कर सकें, फिर से वो पाँव ढूँढेंगे हम ॥ *

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Sunday, June 7, 2009

$***** वो अक्सर याद करता है *******

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* जिंदगी जीने का अक्सर, यही दस्तूर होता है ।

उसे ही जीना पड़ता है , जो मरने को मजबूर होता है ॥ *

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* वो अक्सर भूल जाता है, जो दिल के पास है हर पल ।

वो अक्सर याद करता है, जो दिल से दूर होता है ॥ *

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* वो सपना पा ही जाते हैं, जिसे सपना ही रहना था ।

जिसे सच करना होता है, वो सपना चूर होता है ॥ *

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* वो बंधन बन्ध नहीं पाता, मेरी साँसों की कोशिश से ।

जिंदगी भर बन्ध के रहना ही, जिसे मंजूर होता है ॥ *

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* वो अक्सर दफन होता है , जो बेनाम होता है ।

उसे भी मिलना है मिटटी में, जो मशहूर होता है ॥ *

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