Monday, June 8, 2009


$**** एक अंजाम मिल जाए गर****
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* एक अंजाम मिल जाए गर, फिर से आगाज़ ढूँढेंगे हम ।

एक विशवास मिल जाए गर, खोया विशवास ढूँढेंगे हम ॥ *

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* शब्द आकर लबों पे थमें, अश्क पलकों पे आकर थमें ।

तेरी खामोशियाँ गर मिलें, फिर से अल्फाज़ ढूँढेंगे हम ॥ *

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* रात ख्वाबों में ठहरी है आज, रात रातों से गहरी है आज ।

थोडी तन्हाई गर फिर मिले, फिर से ये रात ढूँढेंगे हम ॥ *

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* कितनी साँसों में जलता रहा, कितनी साँसों से पलता रहा ।

एक पल साँस थम जाए गर, फिर से हर साँस ढूँढेंगे हम ॥ *

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* तुमने जाना नहीं था हमें, हमने समझा नहीं था तुम्हें ।

चंद लम्हों की मोहलत तो दो, हर इक पहचान ढूँढेंगे हम ॥ *

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* मेरा अपना नहीं है कोई, मेरा सपना नहीं है कोई ।

एक अनजान मिल जाए गर, फिर से अरमान ढूँढेंगे हम ॥ *

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* हमने हाथों को थामा था कल, कई साथो को थामा था कल ।

सिर्फ़ इक साथ मिल जाए गर, फिर से वो साथ ढूँढेंगे हम ॥ *

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* मेरी साँसों में रहते थे जो, मेरी आंखों में बसते थे जो ।

गुज़रे लम्हे वो फिर से मिलें, फिर से वो लोग ढूँढेंगे हम ॥ *

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* मेरी आंखों में सपने भी हैं, मेरी साँसों में अरमा भी हैं ।

फांसले जिनसे तय कर सकें, फिर से वो पाँव ढूँढेंगे हम ॥ *

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3 comments:

  1. तुमने जाना नहीं था हमें, हमने समझा नहीं था तुम्हें ।

    चंद लम्हों की मोहलत तो दो, हर इक पहचान ढूँढेंगे हम ॥ *

    poem is just simply brilliant !

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  2. मेरा अपना नहीं है कोई, मेरा सपना नहीं है कोई ।

    एक अनजान मिल जाए गर, फिर से अरमान ढूँढेंगे हम ॥ *water water everywhere and not a drop to drink......cheeuntiyon jaise insaanon ki bheed mein , phir bhi tanha pad jaathe hain hum......ya khuda....is dil ko yun adhoorepan ke ehsaas mein jhulasne ke liye chod, tu khaamosh tamaasha kyon dekhtha hai yun.....

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