Tuesday, July 7, 2009

*
$ * देवता होने की ख्वाहिश हर किसी दिल में रही ,
पर खुदा होने का साहस अब किसी दिल में नहीं ।
तुम खुदाई में सदा अधिकार ही चाहा किए ,
बाँट ले जो दर्द दिल के वो खुदा तुम में नहीं ॥ *
*
$ * मेरी एक उम्र से लम्बी मेरी तन्हाई है,
मेरे वजूद को ढोती मेरी परछाई है ।
मैं एक बेकुम्मल से जहाँ में जी रहा हूँ ,
मेरी साँसों की लाश मुझको कहाँ ले आई है ॥ *
*
$ * शमा बनकर जो जलूं तो मुझे चैन आए ,
प्यास बनकर जो बुझूँ तो मुझे चैन आए ।
दरिया बनकर जो बहूँ तो मुझे चैन आए ,
धरती बनकर जो सहूँ तो मुझे चैन आए ॥ *
*
$ * सफा - दर - सफा लिखता रहा ज़िन्दगी ,
लम्हा - दर -लम्हा मिटाता रहा ज़िन्दगी ।
कदम - दर - कदम गुज़रता रहा सफर ,
उम्र - दर - उम्र बढ़ता रहा फांसला ॥ *
*
$ * इस ज़िन्दगी से हर कोई , अपने-अपने से ही रिश्ते निभाता है ।
कोई इसे यूँही जीता जाता है , कोई इसे यूँही मिटाता है ॥ *
*

1 comment: